अर्जुन के रथ का अंत

अर्जुन के रथ का अंत : महाभारत, भारतीय साहित्य का एक महत्वपूर्ण और अद्भुत महाकाव्य है। इस महाकाव्य की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। महाभारत का काव्य व्यापक और उद्घाटनात्मक है, जिसमें 100,000 श्लोक हैं और इसमें भगवद गीता भी शामिल है। महाभारत में पांच पाण्डव और कौरवों के साथ हुए युद्ध की कथा है, जिसमें धर्म, न्याय, और कर्म के मामूले पर विचार किया जाता है। महाभारत की कहानियाँ आज भी हमारे जीवन में गहरे अर्थ लिए हुए हैं। इसके अनेक प्रसंग न केवल रोचक हैं बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाते हैं। ऐसा ही एक प्रसंग है अर्जुन के रथ का युद्ध के बाद जलकर भस्म हो जाना। आइये इस पोस्ट में जानते हैं इसके बार्रे में –

महाभारत युद्ध और अर्जुन का रथ

अर्जुन के रथ का अंत

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया था, जो पांडवों और कौरवों के बीच अधिकार और धर्म के लिए संघर्ष था। यह युद्ध धर्म, नीति, अधिकार, लोभ, और मानवता के विभिन्न पहलुओं को सामने लाता है। अर्जुन, पांडवों के महान योद्धा, का रथ महाभारत युद्ध में उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक था। इस रथ को खुद भगवान कृष्ण ने सारथी के रूप में चलाया था, जो इसे और भी दिव्य बना देता है। भगवान कृष्ण का सारथी बनना अर्जुन के लिए न केवल मार्गदर्शन का कार्य करता था बल्कि उन्हें आध्यात्मिक शक्ति भी प्रदान करता था। अर्जुन का रथ युद्ध के दौरान अनेक दिव्यास्त्रों के प्रहारों को सहन करता रहा। यह रथ किसी भी प्रकार के आक्रमण से सुरक्षित रहा, जो भगवान कृष्ण की दिव्य शक्ति को दर्शाता है।

युद्ध के बाद रथ का भस्म होना

अर्जुन के रथ का अंत

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में लड़ा गया था, जो पांडवों और कौरवों के बीच अधिकार और धर्म के लिए संघर्ष था। यह युद्ध धर्म, नीति, अधिकार, लोभ, और मानवता के विभिन्न पहलुओं को सामने लाता है। अर्जुन, पांडवों के महान योद्धा, का रथ महाभारत युद्ध में उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक था। इस रथ को खुद भगवान कृष्ण ने सारथी के रूप में चलाया था, जो इसे और भी दिव्य बना देता है।

जैसे ही महाभारत युद्ध समाप्त हुआ, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा, की सर्वप्रथम तुम अपने गांडीव धनुष और अक्षय तरकस को लेकर रथ से उतर जाओ। अर्जुन के रथ से उतरने के बाद, भगवान कृष्ण भी रथ से उतर गए। भगवान कृष्ण के रथ से उतरते ही, अर्जुन के रथ के धव्ज पर विराजे हनुमानजी भी रथ को छोड़कर उड़ गए। तभी अर्जुन का रथ जल कर भस्म हो गया। इस दृश्य को देख, अर्जुन ने भगवान कृष्ण से रथ के जलने का कारण पूछा। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कहा, की तुम्हारा रथ तो अनेक दिव्यास्त्रों के प्रहार से पहले ही जल चुका था, मात्र मेरे, तथा पवनपुत्र हनुमानजी के, तुम्हारे रथ पर विराजे रहने के कारण ही अब तक यह भस्म नहीं हुआ था।अर्जुन, जब तुम्हारा युद्ध का कर्तव्य पूरा हो गया, तभी मैंने व हनुमानजी से इस रथ को त्याग दिया और रथ त्यागते ही जल कर भस्म हो गया।

निष्कर्ष

अर्जुन के रथ का यह प्रसंग हमें यह सिखाता है कि जीवन में ईश्वर की कृपा का महत्व सर्वोपरि है। यह कथा हमें याद दिलाती है कि मानवीय प्रयास और दिव्य शक्ति का संगम ही वास्तविक सफलता और सुरक्षा प्रदान करता है।

महाभारत युद्ध और अर्जुन का रथ से संबंधित प्रश्नोत्तरी

प्रश्न: महाभारत युद्ध किस मैदान में लड़ा गया था?
उत्तर: कुरुक्षेत्र।

प्रश्न: अर्जुन के रथ का सारथी कौन था?
उत्तर: भगवान कृष्ण।

प्रश्न: महाभारत युद्ध के प्रमुख दो पक्ष कौन थे?
उत्तर: पांडव और कौरव।

प्रश्न: अर्जुन के रथ के ध्वज पर किस देवता का चित्र था?
उत्तर: हनुमान।

प्रश्न: महाभारत में अर्जुन को दिया गया दिव्यास्त्र कौन सा है?
उत्तर: पाशुपतास्त्र।

प्रश्न: महाभारत के किस खंड में भगवद्गीता का उपदेश है?
उत्तर: भीष्म पर्व।

प्रश्न: अर्जुन को किस अन्य नाम से जाना जाता था?
उत्तर: पार्थ।

प्रश्न: महाभारत के अनुसार, अर्जुन ने किसे स्वयंवर में जीता था?
उत्तर: द्रौपदी।

प्रश्न: कौन सा योद्धा महाभारत युद्ध में अर्जुन के लिए बड़ी चुनौती था?
उत्तर: कर्ण।

प्रश्न: अर्जुन ने महाभारत युद्ध के दौरान किस दिव्यास्त्र का प्रयोग किया था?
उत्तर: ब्रह्मास्त्र।

प्रश्न: अर्जुन ने महाभारत युद्ध में किसे मारा था जो उनके बहुत करीबी थे?
उत्तर: भीष्म।

प्रश्न: अर्जुन के रथ के घोड़े कितने थे?
उत्तर: चार।

प्रश्न: महाभारत युद्ध कितने दिनों तक चला था?
उत्तर: 18 दिन।

प्रश्न: अर्जुन ने युद्ध के किस दिन भगवद्गीता का उपदेश सुना था?
उत्तर: युद्ध के पहले दिन।

प्रश्न: महाभारत युद्ध के अंत में कौन विजयी हुआ था?
उत्तर: पांडव।

 

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