सुषुम्ना नाड़ी

चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी : प्राचीन समय से ही हमारे योगी इस शरीर पर काम कर रहे हैं और इसको समझने मैं उनकी समझ साइंस से बहुत आगे रही है। योगियों ने ये समझा की हमारे शरीर मैं एक तरह की ऊर्जा प्रवाहित होती है और उन्होंने उस ऊर्जा को नाड़ियों का नाम दिया। शिव सहिंता के अंदर हमारे शरीर मैं नाड़ियों की संख्या 3 लाख पचास हज़ार बताई गई है और वहीँ गौ रक्ष सहिंता के आधार पर हमारे शरीर मैं नाड़ियों की संख्या 72 हज़ार बताई गई है। इन 72 हज़ार नाड़ियों मैं से भी जो प्रमुख नाड़ियां है वो 03 है। इनके नाम है चंद्र नाड़ी, सूर्य नाड़ी और सुषुम्ना नाड़ी

चंद्र नाड़ी हमारे बाएं पक्ष की 36 हज़ार नाड़ियों को नियंत्रण करती है वहीँ सूर्य नाड़ी हमारे दाएं पक्ष की 36 हज़ार नाड़ियों को नियंत्रण करती है और इन दोनों नाड़ियों को सुषुम्ना नाड़ी नियंत्रण करती है।सुषुम्ना नाड़ी के बारे मैं आप दिए गए ‘सुषुम्ना नाड़ी से जुडी सम्पूर्ण जानकारी‘ पर क्लिक कर के पढ़ सकते हैंऔर आज हम जिस पर बात करने जा रहे हैं वो है चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी। चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी को ठीक से साध के ही हम सुषुम्ना नाड़ी को जागृत कर सकते हैं। चंद्र नाड़ी जो है वो प्राणिक प्रगति के लिए होती है, सूर्य नाड़ी जो है वो मानसिक प्रगति के लिए होती है और वहीँ सुषुम्ना नाड़ी जो है वो आध्यात्मकि प्रगति के लिए होती है। आइये अब इन दोनों नाड़ियों को थोड़ा डिटेल मैं समझने की कोशिश करते हैं।

1). चंद्र नाड़ी, जिसे ईड़ा नाड़ी भी कहते हैं, हमारे सूक्ष्म शरीर की एक महत्वपूर्ण प्राणिक नाड़ी है। इसका संबंध चंद्रमा (चंद्र) के शीतलता और शांतिप्रद प्रकृति से है। चंद्र नाड़ी शरीर के बाएं पक्ष से गुजरती है और मूलाधार चक्र से शुरू होकर आज्ञा चक्र में समाप्त होती है, इसका अर्थ है कि यह हमारे सूक्ष्म शरीर के निचले हिस्से से शीर्ष तक पहुंचती है, जिसमें सभी चक्र समाहित होते हैं। चंद्र नाड़ी का प्रतीक शीतलता और शांति है। जब यह नाड़ी प्रधान होती है, तो व्यक्ति अधिक शांत और प्रशांत अनुभव करता है। चंद्र नाड़ी की सक्रियता से शरीर और मन को ठंडा और आरामदायक अहसास होता है। इससे मन की अवसादना और चिंता में कमी होती है, और शारीरिक और मानसिक विश्राम प्राप्त होता है।

योग में चंद्र नाड़ी को संतुलित करने और इसे शुद्ध करने के लिए विशेष प्राणायाम और अभ्यास होते हैं, जैसे कि अनुलोम-विलोम प्राणायाम। इससे नाड़ी में प्राण ऊर्जा का संचार बेहतर होता है, जिससे व्यक्ति अधिक संतुलित और शांत अनुभव करता है। तंत्र में, चंद्र नाड़ी को सूक्ष्म शरीर की शक्ति और प्राणिक ऊर्जा का मार्गदर्शक माना जाता है।

आज के समय में, जहाँ जीवन में तनाव और असंतुलन की बढ़ती हुई चुनौतियाँ हैं, चंद्र नाड़ी को सक्रिय और संतुलित रखना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चंद्र नाड़ी के संदर्भ में फायदे :-

  • मानसिक शांति: चंद्र नाड़ी शांतिप्रद ऊर्जा का संचालन करती है। जब यह सक्रिय होती है, तो व्यक्ति अधिक शांत और संतुलित अनुभव करता है। इससे मन की विचलन, चिंता और तनाव में कमी होती है।
  • शारीरिक विश्राम: चंद्र नाड़ी की सक्रियता से शारीरिक शीतलता और आराम प्राप्त होता है। शरीर में उत्तेजना और गर्मी में न्यूनतम अनुभूति होती है, जिससे शारीरिक संवेदनशीलता और असहजता में कमी होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: चंद्र नाड़ी के संतुलित और सक्रिय होने से अनेक स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यह पाचन, नींद और ह्रदय की गति में सुधार कर सकती है।
  • आध्यात्मिक विकास: चंद्र नाड़ी की सक्रियता से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति में भी सहायक होती है। ध्यान और प्राणायाम के प्रक्रियाओं में, चंद्र नाड़ी का संतुलन और सक्रिय होना मन को एकाग्रता और गहरी समाधि में ले जाने में मदद करता है।

इस प्रकार, चंद्र नाड़ी की सक्रियता और संतुलन से प्राप्त फायदे हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और हमें एक संतुलित और शांत जीवन जीने में मदद कर सकते हैं।

चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी

2). सूर्य नाड़ी हमारे सूक्ष्म शरीर में एक प्रमुख नाड़ी है, जिसे आमतौर पर पिंगला नाड़ी भी कहा जाता है। यह चंद्र नाड़ी का प्रतिपक्ष है और विशेष तौर पर सक्रिय और ऊर्जावान ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। सूर्य नाड़ी शारीरिक रूप में शरीर के दाएं पक्ष में स्थित है। इसका आरंभ मूलाधार चक्र से होता है और यह आज्ञा चक्र में समाप्त होता है। सूर्य नाड़ी सूर्य की तरह गर्म, प्रकाशमान और सक्रिय ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है। इससे ऊर्जा, उत्साह और सक्रियता की अनुभूति होती है।

सूर्य नाड़ी (पिंगला नाड़ी) के फायदे:-

  • ऊर्जा और सक्रियता: सूर्य नाड़ी की सक्रियता से शरीर में ऊर्जा की भरपूर मात्रा बनी रहती है। यह ऊर्जा व्यक्ति को जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य: सूर्य नाड़ी सक्रिय होने पर, शारीरिक प्रदर्शन में सुधार होता है। इससे शारीर में रक्त संचारन बेहतर होता है और मांसपेशियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
  • मानसिक जागरूकता और एकाग्रता: सूर्य नाड़ी के संचार से मानसिक स्तर पर जागरूकता और ध्यान में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति को अधिक एकाग्र और निर्दिष्ट कार्यों में ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
  • आध्यात्मिक प्रगति: सूर्य नाड़ी की सक्रियता से आध्यात्मिक अनुभवों की गहराई और स्पष्टता में वृद्धि होती है। ध्यान, प्राणायाम और अन्य आध्यात्मिक प्रक्रियाओं में सूर्य नाड़ी की सहायता से व्यक्ति की आत्मा का विकास हो सकता है।

इस प्रकार, सूर्य नाड़ी की सक्रियता और संतुलन से प्राप्त फायदे हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। इसकी सही स्थिति और कार्यक्षमता से हम जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और आध्यात्मिक जागरूकता को भी प्राप्त कर सकते हैं।

 

चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी से संबंधित 13 प्रश्नोत्तरी

  1. चंद्र नाड़ी क्या है?
    • चंद्र नाड़ी शरीर की बाईं ओर स्थित ऊर्जा चैनल है, जो शीतलता, शांति, और चिंतनशीलता से संबंधित है।
  2. सूर्य नाड़ी क्या है?
    • सूर्य नाड़ी शरीर की दाईं ओर स्थित ऊर्जा चैनल है, जो ऊष्मा, ऊर्जा, और गतिविधि से संबंधित है।
  3. नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है?
    • नाड़ी शोधन प्राणायाम एक योगिक श्वासायाम है जो चंद्र और सूर्य नाड़ियों को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
  4. चंद्र नाड़ी का मानव शरीर पर क्या प्रभाव होता है?
    • चंद्र नाड़ी का सक्रिय होना शांति, ठंडक, और विश्राम की भावना उत्पन्न करता है।
  5. सूर्य नाड़ी का मानव शरीर पर क्या प्रभाव होता है?
    • सूर्य नाड़ी का सक्रिय होना ऊर्जा, गर्मी, और सक्रियता में वृद्धि करता है।
  6. चंद्र भेदन प्राणायाम क्या है?
    • चंद्र भेदन प्राणायाम एक योगिक अभ्यास है जो चंद्र नाड़ी को सक्रिय करता है।
  7. सूर्य भेदन प्राणायाम क्या है?
    • सूर्य भेदन प्राणायाम एक योगिक अभ्यास है जो सूर्य नाड़ी को सक्रिय करता है।
  8. नाड़ियों का योग में क्या महत्व है?
    • नाड़ियाँ योग में प्राण ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करने और शरीर-मन के संतुलन में महत्वपूर्ण होती हैं।
  9. आयुर्वेद में नाड़ियों का क्या महत्व है?
    • आयुर्वेद में नाड़ियों का महत्व शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करने और स्वास्थ्य और उपचार में होता है।
  10. नाड़ी दोष क्या होता है?
    • नाड़ी दोष तब होता है जब चंद्र या सूर्य नाड़ी असंतुलित हो जाती है, जिससे शारीरिक और मानसिक असंतुलन हो सकता है।
  11. चंद्र नाड़ी को कैसे सक्रिय किया जा सकता है?
    • चंद्र नाड़ी को सक्रिय करने के लिए चंद्र भेदन प्राणायाम और अन्य शीतल प्रक्रियाएं की जा सकती हैं।
  12. सूर्य नाड़ी को कैसे सक्रिय किया जा सकता है?
    • सूर्य नाड़ी को सक्रिय करने के लिए सूर्य भेदन प्राणायाम और गर्म प्रक्रियाएं की जा सकती हैं।
  13. नाड़ी शोधन प्राणायाम कैसे करें?
    • नाड़ी शोधन प्राणायाम में वैकल्पिक नासिका श्वासायाम किया जाता है, जिसमें एक नाक से साँस लेना और दूसरे से छोड़ना शामिल है।

 

 

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3 thought on “चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी क्या है?”
  1. आध्यात्मिक मार्ग पर जाने में सहयोग प्रदान करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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