कालीघाट काली मंदिर

कोलकाता के हृदय में स्थित कालीघाट काली मंदिर, आस्था और परंपरा का एक प्रकाश स्तंभ है। यह प्रसिद्ध मंदिर, देवी काली को समर्पित है, जो हिन्दू धर्म में अपने उग्र और शक्तिशाली स्वरूप के लिए जानी जाती हैं। इस पोस्ट में हम इस प्राचीन पवित्र स्थान के इतिहास, महत्व और सांस्कृतिक प्रभाव की गहराई में जाएंगे, जहाँ दुनिया भर से भक्त आशीर्वाद और शांति की खोज में आते हैं।

ऐतिहासिक महत्व

कालीघाट काली मंदिर

कालीघाट काली मंदिर केवल एक पूजा स्थल ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक विरासत का एक प्रतीक है, जिसका इतिहास लगभग 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। कहा जाता है कि कोलकाता नाम ‘कालीघाट’ से निकला है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है, जहाँ सती के शरीर के हिस्से गिरे थे। हुगली नदी के किनारे स्थित इस मंदिर का रहस्यमयी आभा है।

एक समय की बात है, जब भगवान शंकर अत्यंत दुखी थे और माता सती के शरीर को लेकर संपूर्ण ब्रह्मांड में भ्रमण कर रहे थे। तब, भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर को खंडित करने के लिए अपने हथियार सुदर्शन चक्र का उपयोग किया। जहां-जहां टुकड़े गिरे, वे विशेष स्थान बन गए जिन्हें शक्तिपीठ कहा गया। कलकत्ता के कालीघाट में माता सती के दाहिने पैर दाहिने पैर का अंगूठा और अंगुलियाँ गिरीं, जिससे वहाँ एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। कालीघाट के मंदिर में देवी काली की एक बड़ी मूर्ति है और उनकी जीभ सोने की बनी है।

 

स्थापत्य कला

कालीघाट मंदिर की स्थापत्य कला पारंपरिक और आधुनिक शैली का एक अनोखा मिश्रण है। वर्तमान संरचना, जो 1809 में बनी थी, बंगाली शैली की स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है। मुख्य देवी, काली, को गर्भगृह में स्थापित किया गया है और उन्हें तीन नेत्र और चार भुजाओं वाले रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की काली की मूर्ति अनोखी है क्योंकि यह बंगाल में पाई जाने वाली अन्य काली मूर्तियों के सामान्य पैटर्न का अनुसरण नहीं करती है।

 

प्रसिद्ध उत्सव

  • काली पूजा और दुर्गा पूजा: ये दो प्रमुख उत्सव हैं जो मंदिर में बड़े ही धूमधाम और भक्ति भावना के साथ मनाए जाते हैं। इन त्योहारों के दौरान, मंदिर और इसके आसपास का क्षेत्र भक्तों और श्रद्धालुओं से भर जाता है।
  • पोइला बोइशाख: बंगाली नव वर्ष का यह त्योहार मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है, जहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और विशेष पूजा अनुष्ठानों के माध्यम से नए साल की शुरुआत की जाती है।

 

मंदिर खुलने का समय और पता क्या है ?

कालीघाट काली मंदिर सुबह 5 बजे खुल जाता है और फिर दोपहर 12 बजे से 3 बजकर 30 मिनट तक बंद रहता है। शाम को फिर 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक फिर मंदिर खुला रहता है। यहाँ का पता है –

कालीघाट काली मंदिर, कालीघाट रोड, कालीघाट, कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत (यह मंदिर कोलकाता शहर में स्थित है और यहां पहुंचने के लिए कालीघाट मेट्रो स्टेशन सबसे नजदीकी और सुविधाजनक विकल्प है। मंदिर शहर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और आसानी से सुलभ है।)

 

कालीघाट मंदिर किसने बनवाया?

कालीघाट मंदिर के बारे में बहुत लंबे समय से चर्चा की गई है, यहां तक ​​कि सैकड़ों साल पहले की पुरानी किताबों में भी। पहला मंदिर बहुत छोटा था, एक छोटे से घर जैसा। लेकिन बाद में 1809 में सबर्ना रॉय चौधरी नामक परिवार ने एक नया मंदिर बनवाया। उन्होंने ज़मीन का एक बड़ा टुकड़ा, लगभग 595 बीघे, मंदिर को दे दिया ताकि लोग वहाँ प्रार्थना करते रहें और दूसरों की मदद करते रहें।

 

कालीघाट मंदिर से संबंधित प्रश्नोत्तरी

  • कालीघाट काली मंदिर किस शहर में स्थित है?
    • उत्तर: कोलकाता
  • कालीघाट काली मंदिर किस देवी को समर्पित है?
    • उत्तर: देवी काली
  • कालीघाट काली मंदिर में मुख्य देवी की प्रतिमा किस विशेष शैली में बनाई गई है?
    • उत्तर: तीन नेत्र और चार भुजाओं वाले रूप में
  • कालीघाट काली मंदिर कितने शक्ति पीठों में से एक है?
    • उत्तर: 51 शक्ति पीठों में से एक
  • कालीघाट मंदिर का प्रमुख त्योहार कौन सा है?
    • उत्तर: काली पूजा
  • कालीघाट मंदिर का वर्तमान स्वरूप कब बना?
    • उत्तर: 19वीं सदी में
  • कालीघाट मंदिर में पूजा का समय कब तक होता है?
    • उत्तर: सुबह से रात तक (विशिष्ट समय के लिए स्थानीय सूचना देखें)
  • कालीघाट मंदिर के निकट कौन सी नदी बहती है?
    • उत्तर: हुगली नदी
  • कालीघाट काली मंदिर में किस बंगाली नव वर्ष के त्योहार को मनाया जाता है?
    • उत्तर: पोइला बोइशाख
  • कालीघाट काली मंदिर किस प्रकार के वास्तुकला शैली में बनाया गया है?
    • उत्तर: बंगाली वास्तुकला शैली
  • कालीघाट मंदिर की यात्रा के लिए सबसे निकटतम मेट्रो स्टेशन कौन सा है?
    • उत्तर: कालीघाट मेट्रो स्टेशन
  • कालीघाट मंदिर में देवी काली की मूर्ति किस प्रकार की है?
    • उत्तर: अद्वितीय और विशेष शैली में
  • कालीघाट मंदिर में दुर्गा पूजा के दौरान कौन सी विशेष गतिविधियाँ होती हैं?
    • उत्तर: विशेष पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रम
  • कालीघाट मंदिर में भक्तों के लिए किस प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
    • उत्तर: प्रार्थना स्थल, पूजा सामग्री की दुकानें, और आराम क्षेत्र
  • कालीघाट मंदिर का सामाजिक प्रभाव किस प्रकार है?
    • उत्तर: यह मंदिर समाज में एकता, धार्मिक भावना और सामाजिक सेवा को बढ़ावा देता है।

 

अन्य महत्वपूर्ण लेख

ध्यान की उच्चतम अवस्था: समाधि

काल भैरव

शकुनि के पासे का रहस्य

मस्तिष्क पर ध्यान का प्रभाव

मकरध्वज: हनुमान जी के पुत्र

हनुमान जी की पत्नियां

मौनी अमावस्या 2024

महाशिवरात्रि 2024

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *