कोदंड धनुष

कोदंड धनुष, जो भगवान राम के हाथों में सजता था, रामायण के सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र अस्त्रों में से एक है। यह धनुष न केवल राम की शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है, बल्कि धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का भी संकेत देता है। भारत के इतिहास में धनुष का प्राचीन काल से बहुत महत्व है और इसी कारण से ही हमारे इतिहास में एक संस्कृत ग्रंथ है जिसका नाम धनुर्वेद है और यह ग्रन्थ तीरंदाजी पर बना है। इस ग्रन्थ को यजुर्वेद से जुड़ा एक उपवेद भी माना जाता है और इसका श्रेय या तो भृगु या विश्वामित्र या भारद्वाज को दिया जाता है। तो आइये इस पोस्ट में कोदंड धनुष के बारे में समझते हैं –

कोदंड धनुष की दिव्यता और शक्ति

कोदंड धनुष

कोदंड का अर्थ होता है बांस से निर्मित। कोदंड धनुष को उसकी अपार शक्ति और दिव्यता के लिए जाना जाता है। यह धनुष भगवान राम के योद्धा स्वरूप का प्रतीक है। हमरे हिन्दू ग्रन्थ के अनुसार भगवान श्री राम के पास साढे पाँच हाथ लंबा कोदंड धनुष था। इस धनुष को देव धनुष के नाम से भी जाना जाता है। कोदंड धनुष का वजन लगभग 2,000 पल यानी 100 किलो के आस पास था। शास्त्रों में इस धनुष की लंबाई 7 पर्व भी बताई गई है। ऐसा माना जाता है की कोदंड धनुष से छोड़ा गया बाण कभी भी निष्फल नहीं जाता और यही बहुत दूर तक के लक्ष्य को भी भेदने की क्षमता रखता था ।

कोदंड राम मंदिर

कोदंड धनुष

कोदंड नाम से भिलाई (Bhilai Marshalling Yard, Bhilai, Chhattisgarh 490025) में एक राम मंदिर भी है जिसे ‘कोदंड रामालयम मंदिर’ कहा जाता है। श्री राम को कोदंड के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्रीराम ने दंडकारण्य में 10 वर्ष से अधिक समय तक भील, वनवासी और आदिवासियों के बीच रहकर उनकी सेवा की थी।

कोदंड धनुष से जुडी रोचक कहानी
  1. कोदंड धनुष से जुड़ी एक रोचक कहानी रामायण से आती है, जब श्री राम ने समुद्र का पानी सूखने के लिए इसे उठाया था। श्री राम की सीता को रावण की कैद से मुक्त करने के लिए उन्हें अपनी सेना के साथ लंका पहुंचना था। लेकिन उनके सामने समुद्र पार करने की बड़ी चुनौती थी। श्री राम ने पहले समुद्र देवता से रास्ता देने का आग्रह किया, परंतु जब समुद्र देवता प्रकट नहीं हुए, तो श्री राम ने अपने कोदंड धनुष को उठाकर समुद्र को सुखाने का निश्चय किया। जैसे ही श्री राम ने अपना धनुष उठाया, समुद्र देवता तुरंत प्रकट हुए और श्री राम से क्षमा मांगी। उन्होंने राम से वादा किया कि वे नल और नील को सेतु निर्माण में सहायता करेंगे। समुद्र देवता के आशीर्वाद के बाद, नल और नील ने सेतु बांध (रामसेतु) का निर्माण किया, जिससे श्री राम और उनकी वानर सेना लंका पहुंच सके।
  2. कोदंड धनुष से जुड़ी एक और रोचक कहानी है। जयंत, देवराज इंद्र का पुत्र, श्री राम की दिव्यता और शक्ति का परीक्षण करना चाहता था। उसने कौवे का रूप धारण किया और सीता माता को चोंच मारी। सीता को चोट पहुंचते देख श्री राम क्रोधित हुए। उन्होंने अपने कोदंड धनुष से एक ब्रह्मास्त्र बाण चलाया और उसे कौवे के पीछे भेजा। ब्रह्मास्त्र से बचने के लिए जयंत त्रिलोक में भागा, लेकिन बाण उसका पीछा करता रहा। अंततः वह श्री राम की शरण में आया और उनसे क्षमा मांगी। श्री राम ने जयंत को क्षमा कर दिया, लेकिन ब्रह्मास्त्र को वापस लेना संभव नहीं था। इसलिए, उन्होंने बाण को जयंत की एक आंख फोड़ने के लिए कहा, और इस प्रकार जयंत ने अपनी एक आंख खो दी।

 

कोदंड धनुष से संबंधित प्रश्नोत्तरी

प्रश्न: कोदंड धनुष किसका दिव्य अस्त्र है?
उत्तर: भगवान राम का।

प्रश्न: कोदंड धनुष का प्रमुख प्रसंग किस पौराणिक कथा में मिलता है?
उत्तर: रामायण में।

प्रश्न: श्री राम ने किस युद्ध में कोदंड धनुष का प्रयोग किया?
उत्तर: लंका युद्ध में।

प्रश्न: कोदंड धनुष किस प्रकार का धनुष माना जाता है?
उत्तर: दिव्य और अत्यंत शक्तिशाली।

प्रश्न: श्री राम ने किस देवता के पुत्र को कोदंड धनुष से दंडित किया था?
उत्तर: इंद्र के पुत्र जयंत को।

प्रश्न: कोदंड धनुष के साथ श्री राम का संबंध क्या दर्शाता है?
उत्तर: उनकी योद्धा स्वरूप की शक्ति और धर्म के प्रति समर्पण।

प्रश्न: कोदंड धनुष का प्रतीकात्मक महत्व क्या है?
उत्तर: धर्म, नीति, और आध्यात्मिक शक्ति।

प्रश्न: श्री राम ने किस अस्त्र से कोदंड धनुष का प्रयोग किया था?
उत्तर: ब्रह्मास्त्र।

प्रश्न: कोदंड धनुष से जुड़ी कहानी हमें क्या शिक्षा देती है?
उत्तर: धर्म और सत्य की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प और शक्ति का महत्व।

 

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