मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट : काशी, जिसे वाराणसी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और अपने घाटों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं घाटों में से एक है मणिकर्णिका घाट, जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि इसकी अपनी एक अनोखी सांस्कृतिक पहचान भी है। आइये इस पोस्ट में वहां के इतिहास के बारे में समझने की कोशिश करते हैं –

मणिकर्णिका घाट का इतिहास

मणिकर्णिका घाट

मणिकर्णिका घाट का उल्लेख पुराणों और विभिन्न हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इसे हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में गिना जाता है। इसकी पौराणिक कथाओं में से एक यह है कि देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया था। भगवान शिव द्वारा उनके शरीर को उठाकर ले जाने पर, उनके शरीर के अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे थे। मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर देवी सती का कर्ण और मणि (कुंडल) गिरा था। इसी वजह से इस घाट का नाम मणिकर्णिका पड़ा। मणिकर्णिका घाट को मोक्ष प्राप्ति का स्थल माना जाता है। यहाँ पर अंतिम संस्कार करने से मृत आत्मा को मोक्ष मिलने की मान्यता है, जिससे वह जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है। हर दिन, मणिकर्णिका घाट में लगभग 350 शव जलाए जाते हैं और कभी कभी यह संख्या 600 तक भी पहुँच जाती है और ऐसा माना जाता है की यहाँ के समशानो में कभी आग नहीं बुझती है।

एक और कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने काशी में एक हजार वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या का उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना और काशी को अपने धाम के रूप में स्थापित करना था। जब उनकी तपस्या पूरी हुई तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से एक कुंड खोदा, जिसे बाद में मणिकर्णिका कुंड के नाम से जाना गया। इस कुंड में उन्होंने स्नान किया, जिससे उनकी तपस्या पूर्ण हुई। भगवान शिव विष्णु की तपस्या से प्रसन्न हुए और काशी में उनके पास पहुंचे। शिव ने विष्णु को आशीर्वाद दिया कि काशी में जो भी व्यक्ति मरेगा, उसे मोक्ष प्राप्त होगा। इस कथा के कारण, काशी को “मोक्ष की नगरी” कहा जाता है, और मणिकर्णिका घाट को मोक्ष प्राप्ति का स्थल माना जाता है। यहाँ अंतिम संस्कार करने से मृत आत्मा को मोक्ष मिलने की मान्यता है।

मणिकर्णिका घाट के  रहस्य

मणिकर्णिका घाट

1). ऐसा माना जाता है की जिसकी भी मृत्यु काशी में होती है और मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार होता है तो वो इंसान सीधा मोक्ष को प्राप्त होता है। यहाँ पर कई ऐसी धर्मशालाएं है जहाँ पर बुजुर्ग लोग आ कर रहते हैं और अपने आखरी पलों का इंतज़ार करते हैं और मरने के बाद वही धर्मशाला वाले सज्जन उनका मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार कर देते हैं।

2). जो लोग मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार करते हैं वो ‘डोमराजा’ समुदाय के होते हैं और इस समुदाय के लोगों को मोक्ष द्वार का आखरी दवारपाल भी कहा जाता है। ऐसा बोला जाता है इस समुदाय पर साक्षात् देवी माता का आशीर्वाद होता है और वो लोग साक्षात् यमराज को देख सकते है और महसूस कर सकते हैं।

3). मणिकर्णिका घाट में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी (16 अप्रैल 2024 ) को यहाँ पर वेश्याएं नृत्ये करती हैं और उसके पीछे के कथा यह है की इस दिन ऐसा करने से उनके बुरे करम मिट जायेंगे और अगले जनम में उनको वेश्या नहीं बनना पड़ेगा।

4). मणिकर्णिका घाट में चिता की होली खेली जाती है। यह होली हर साल फाल्गुन माह की एकादशी को खेली जाती है। इसके पीछे की कहानी यह है की इस दिन भोले शंकर अपनी पत्नी पार्वती जो को गौना करके अपने साथ लाये थे और इसी दिन पुरे काशी में से उनकी डोली निकलती है।

5). अघोरी साधना में शवों का महत्व होता है। वे मानते हैं कि शव साधना के माध्यम से वे मृत्यु के भय से मुक्त हो सकते हैं और आत्मा की शुद्धि कर सकते हैं। अघोरी साधु मणिकर्णिका घाट पर मोक्ष प्राप्ति के लिए अपनी तपस्या करते हैं। वे मृत्यु को जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं और उसे गले लगाकर आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।

6). मणिकर्णिका घाट श्मशान तंत्र के लिए भी एक प्रमुख स्थल है। तांत्रिक साधक यहाँ विभिन्न तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं, जिसमें कभी-कभी शवों और अस्थियों का उपयोग भी शामिल होता है।

7). मणिकर्णिका घाट में महिलाओं के जाने की अनुमति नहीं होती है। एक प्रचलित मान्यता यह है कि महिलाएं आमतौर पर अधिक भावनात्मक होती हैं और उनका अंतिम संस्कार के दौरान अधिक व्यथित होने का खतरा होता है। इसलिए, उन्हें श्मशान घाट से दूर रखा जाता है ताकि वे अत्यधिक दुःख और शोक से बच सकें। कुछ परंपराओं में, महिलाओं का श्मशान घाट में प्रवेश करना अशुभ माना जाता है। यह विश्वास है कि उनकी उपस्थिति आत्मा के मोक्ष प्राप्ति में बाधा डाल सकती है।

8). मणिकर्णिका घाट पर देव दीपावली भी मनाई जाती है जो की ‘देव दीपावली‘ पर क्लिक करके आप हमारा पोस्ट पढ़ सकते हैं।

 

मणिकर्णिका घाट से संबंधित प्रश्नोत्तरी

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट किस शहर में स्थित है?
उत्तर: वाराणसी।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट का मुख्य धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह हिन्दू धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।

प्रश्न: किस नदी के किनारे मणिकर्णिका घाट स्थित है?
उत्तर: गंगा नदी के किनारे।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट का नामकरण किस कथा से संबंधित है?
उत्तर: देवी सती के कुण्डल और कर्णफूल (मणि और कर्णिका) के गिरने की कथा से।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट पर क्या अनवरत जारी रहता है?
उत्तर: शवदाह।

प्रश्न: अघोरी साधुओं का मणिकर्णिका घाट से क्या संबंध है?
उत्तर: अघोरी साधु अपनी तपस्या और ध्यान के लिए इस घाट का उपयोग करते हैं।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट किस त्योहार के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर: देव दीपावली।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट में कौन सा कुंड प्रसिद्ध है?
उत्तर: मणिकर्णिका कुंड।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट पर महिलाओं के प्रवेश को लेकर क्या प्रथा है?
उत्तर: पारंपरिक रूप से, महिलाओं को घाट में प्रवेश करने से रोका जाता है।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट का इतिहास कितना पुराना माना जाता है?
उत्तर: इसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना माना जाता है।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट को किस नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर: महाश्मशान।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट में किस प्रकार के आयोजन आम हैं?
उत्तर: धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट किस प्रकार के पर्यटकों को आकर्षित करता है?
उत्तर: धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पर्यटक।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट की वास्तुकला की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर: पुरानी इमारतें, मंदिर और छोटी गलियां।

प्रश्न: मणिकर्णिका घाट पर कौन सी नदी की आरती प्रसिद्ध है?
उत्तर: गंगा आरती।

 

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