उत्तरायण और दक्षिणायण हिन्दू पंचांग (ज्योतिष) और भौतिक विज्ञान के प्राकृतिक प्रक्रियाओं से संबंधित हैं, जो सूर्य की गति के साथ जुड़े होते हैं। उत्तरायण और दक्षिणायण के माध्यम से हिन्दू कैलेंडर के मौसमिक बदलाव का संकेत भी दिया जाता है, और इन दोनों के समय के आसपास कई त्योहार और पूजाएं मनाई जाती हैं। आइये इसको अच्छे से समझते हैं। हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार साल में 06 महीने का उत्तरायण होता है और 06 महीने का दक्षिणायन।
उत्तरायण का अर्थ
‘उत्तरायण’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “उत्तर की ओर जाना”। यह भारतीय ज्योतिष और कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण खगोलीय अवधि को दर्शाता है। उत्तरायण की शुरुआत सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ होती है, जो आम तौर पर 14 या 15 जनवरी को होता है और इसे ‘मकर संक्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा भी माना जाता है की जब पहली बार गंगा नदी स्वर्ग से होते हुए धरती पर प्रवेश की थी उस दिन भी मकर संक्रांति थी।
उत्तरायण तब शुरू होता है जब सूर्य ध्रुवीय गति के कारण उत्तर की ओर बढ़ता है। यह दक्षिणी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति से लेकर उत्तरी गोलार्ध में मकर संक्रांति तक की अवधि होती है। इस समय सूर्य आकाशीय भूमध्य रेखा से उत्तर की ओर बढ़ता है, जिससे दिन की अवधि बढ़ने लगती है और रातें छोटी होने लगती हैं।
इस समय का ज्योतिषीय महत्व यह है कि इसे देवताओं का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान किए गए धार्मिक कृत्य और पुण्य कर्म अधिक फलदायी होते हैं। इसी कारण से, मकर संक्रांति जैसे त्योहार इस दौरान मनाए जाते हैं, जिसमें पतंगबाजी, दान-पुण्य और स्नान धर्म की प्रमुख रस्में होती हैं।
हमारी कुल 12 राशियां हैं और सूर्य भगवान् हर महीने एक राशि में जा कर बैठते हैं तो यह साल की शुरुआत मकर राशि से करते हैं और उसके बाद पूरी उत्तरायण में 06 राशियों में बैठते हैं जो हैं – मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ और मिथुन। यह समय 15 जनवरी से ले कर 15 जुलाई तक का होता हैं वहीँ 16 जुलाई से ले कर 14 जनवरी तक का समय दक्षिणायण का होता हैं।
उत्तरायण का कृषि के साथ भी गहरा संबंध है। यह समय रबी की फसलों की कटाई और खरीफ की फसलों की बुवाई का होता है। किसान इस समय को नई शुरुआत और अपनी मेहनत के फल के रूप में देखते हैं।
उत्तरायण को देवताओं का समय भी माना जाता हैं और उत्तरायण के वक़त ही घर प्रवेश, नई कार लेना, विवाह का समय आरम्भ हो जाता हैं। ऐसा भी माना जाता हैं की उत्तरायण के समय जिसकी मृत्यु होती हैं वो सीधा स्वर्ग में जाता हैं। भीषम पिता को इच्छा मृत्यु का वरदान था और उन्होंने अपनी मृत्यु का समय भी उत्तरायण का ही चुना था।
दक्षिणायण का अर्थ
‘दक्षिणायण’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “दक्षिण की ओर जाना”। यह भारतीय ज्योतिष और कैलेंडर में एक विशेष खगोलीय अवधि को संदर्भित करता है। दक्षिणायण तब शुरू होता है जब सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर अपनी गति करता है, जिसे ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य का कर्क रेखा (Cancer) से मकर रेखा (Capricorn) की ओर गति करना माना जाता है। यह अवधि आमतौर पर जून सोल्स्टाइस से शुरू होती है।
खगोलीय रूप से, दक्षिणायन का आरंभ तब होता है जब सूर्य आकाशीय भूमध्य रेखा से दक्षिण की ओर गति करता है। यह अवधि लगभग छह महीने तक रहती है और इस दौरान, दिन छोटे होने लगते हैं और रातें लंबी हो जाती हैं, खासकर उत्तरी गोलार्ध में। भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दक्षिणायण को पितृयान के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है ‘पितरों का समय’। इस अवधि को आध्यात्मिक रूप से अधिक शांत और अंतर्मुखी माना जाता है। इस समय किए गए श्राद्ध और पितृ तर्पण को विशेष महत्व दिया जाता है।
दक्षिणायन भारतीय कृषि कैलेंडर के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस समय के दौरान वर्षा ऋतु और शरद ऋतु आती हैं, जो कृषि कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इस अवधि में खरीफ की फसलों की बुवाई और रबी की फसलों की कटाई की जाती है।
उत्तरायण और दक्षिणायण 2024 का समय
- उत्तरायण का समय 15 जनवरी सुबह 02 :40 मिनट से लेकर 15 जून रात्रि 11 : 45 तक रहेगा।
- दक्षिणायण का समय 16 जुलाई सुबह 12 :24 मिनट से लेकर 14 जनवरी रात्रि 11 : 56 तक रहेगा।
उत्तरायण और दक्षिणायण से संबंधित प्रश्नोत्तरी
प्रश्न: उत्तरायण का आरंभ कब होता है?
उत्तर: 14 या 15 जनवरी।
प्रश्न: दक्षिणायण का आरंभ किस महीने में होता है?
उत्तर: जुलाई।
प्रश्न: उत्तरायण के दौरान कौन सा प्रमुख त्योहार मनाया जाता है?
उत्तर: मकर संक्रांति।
प्रश्न: दक्षिणायण में कौन से दो प्रमुख ऋतु आती हैं?
उत्तर: वर्षा ऋतु और शरद ऋतु।
प्रश्न: उत्तरायण के दौरान किस प्रकार की गतिविधियाँ प्रचलित होती हैं?
उत्तर: पतंगबाजी, तिल और गुड़ के पकवान, और धार्मिक स्नान।
प्रश्न: दक्षिणायण में किस प्रकार के कृषि कार्य प्रचलित होते हैं?
उत्तर: खरीफ की फसलों की बुवाई और रबी की फसलों की कटाई।
प्रश्न: उत्तरायण को किस देवता के दिनों के रूप में माना जाता है?
उत्तर: देवताओं के दिनों के रूप में।
प्रश्न: दक्षिणायण को किस अन्य नाम से जाना जाता है?
उत्तर: पितृयान।
प्रश्न: उत्तरायण में सूर्य किस दिशा में गति करता है?
उत्तर: उत्तर की ओर।
प्रश्न: उत्तरायण के दौरान कौन सी फसल कटाई का समय होता है?
उत्तर: रबी की फसल।
प्रश्न: दक्षिणायण के दौरान आध्यात्मिक क्रियाओं में क्या शामिल होता है?
उत्तर: श्राद्ध और पितृ तर्पण।
प्रश्न: उत्तरायण का प्रमुख खाद्य पदार्थ क्या है?
उत्तर: तिल और गुड़ से बने पकवान।
प्रश्न: दक्षिणायण के दौरान किस प्रकार के योग और ध्यान की प्रथा होती है?
उत्तर: आत्म-साधना और आध्यात्मिक विकास के लिए योग और ध्यान।
प्रश्न: उत्तरायण और दक्षिणायण का अवधि कितनी होती है?
उत्तर: प्रत्येक अवधि लगभग छह महीने की होती है।
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